Inspirational Woman : 80 साल की डेरिंगबाज़ दादी, तैराकी की बनीं Champion

Inspirational Woman :  अगर मेहनत और लगन हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। इस कहावत को सच कर दिखाया है सूरत गुजरात की 80 वर्षीय बकुला बेन पटेल (bakulaben patel) ने। लोगों को जब किसी बात का फोबिया होता है, तो वे उसे दूर करने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। किसी भी फोबिया को दूर करने की एक उम्र होती है, जिसके बाद उसे दूर करना लगभग नामुमकिन हो जाता है। लेकिन 80 वर्षीय तैराकी चैंपियन बकुला पटेल इनमें से नहीं हैं। वह कभी एक एक्वाफोब थीं, लेकिन अब उनकी कहानी प्रेरणा से भरी है।

58 की उम्र में शुरु की तैराकी 

सूरत ‘डेरिंगबाज दादी’ बकुला पटेल ने साबित कर दिया है कि सपनों को हासिल करने में उम्र कोई बाधा नहीं है। 58 साल की उम्र (Inspirational Woman) में तैराकी का सफर शुरू करने वाली बकुला पटेल अब 80 साल की उम्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 530 पदक जीत चुकी हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी भागीदारी (Inspirational Woman)

Inspirational Woman

तैराकी में बकुला पटेल का कौशल सिर्फ सूरत की स्थानीय तापी नदी तक सीमित नहीं है। बकुला की तैराकी का जलवा वलसाड के तिथल सागर और यहां तक ​​कि मुंबई के विशाल समुद्र तक फैला हुआ है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उनकी व्यापक भागीदारी ने उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्ति बना दिया है।

पानी से डरने के बावजूद तैराकी की ओर रुख किया

अपने तैराकी को लेकर बकुला पटेल (Inspirational Woman) कहती हैं – “मैंने 58 साल की उम्र में एथलेटिक्स में कदम रखा। ग्राउंड स्पोर्ट्स मुझे पसंद नहीं थे। इसलिए, पानी से डरने के बावजूद मैंने तैराकी की ओर रुख किया। शुरुआत में मैंने पानी के डर को भगाने के लिए एक महीने तक तैराकी का प्रयास किया। एक बार जब मेरा पानी का डर निकल गया तो मुझे तैराकी में मज़ा आने लगा।

”रिटायरमेंट की उम्र में शुरू की गई तैराकी की यात्रा ने मुझे दो दशकों में कुल 530 स्वर्ण, रजत, कांस्य पदक और प्रमाण पत्र दिलाए हैं। जिनमें नौ अंतरराष्ट्रीय पदक भी शामिल हैं।” इनका टैलेंट देख लोग इन्हें ‘डेरिंगबाज दादी” नाम से भी पुकारते हैं।  बकुला बेन अनुसार  “संदेह और भेदभाव का सामना करने के बावजूद, मैंने कभी निराशा को अपने आसपास तक नहीं आने दिया”।“मेरे अंदर कुछ करने की इच्छा थी। मैंने हर चीज को सकारात्मक रूप से लिया। मुझे लगा कि मुझे दूसरों को प्रेरित करना चाहिए। मुझे देखने के बाद, अन्य लोगों को भी सकारात्मक महसूस करना चाहिए।”

जीवन में कई मुश्किलों का किया सामना (Inspirational Woman)

इस प्रेरणादायक महिला बकुला बेन पटेल ने कम उम्र में ही बड़े-बड़े दुख झेल लिए थे। कम उम्र में ही  माता-पिता गुजर गए थे। 13 साल की उम्र में अन्य परिजनों ने शादी करवा दी और विवाह के बाद जब बच्चे छोटे थे तब पति का देहांत हो गया। उन्होंने बच्चों की अकेले परवरिश की।  जब उनके बच्चे बड़े होकर काम में व्यस्त हो गए तो बकुला फिर से एक बार अकेली रह गयीं। वे यह नहीं जानती थीं कि क्या करें। “तो उन्होंने तैराकी के माध्यम से खुद को व्यस्त रखने (Inspirational Woman) का सोचा। डर को पराजित करने और दिल के दर्द को भुलाने के लिए। लेकिन तैराकी शुरू करने के एक महीने बाद ही वे ताप्ती नदी में डूबने से बची।

अपने डर से लड़ गईं  (Inspirational Woman)

इस अनुभव के बाद, उन्होंने अपने तैराकी के कपड़े छिपा दिए और फिर कभी तैराकी नहीं करने की कसम खाई। लेकिन कुछ महीनों बाद, 58 की उम्र में, उन्होंने फिर से पानी में वापस आने का साहस जुटाया और इसे अपने जीवन के “सर्वश्रेष्ठ समय” के रूप में देखा। कम उम्र में ही माता-पिता और बाद में पति को खोना भले ही दर्दनाक था। परन्तु यही दर्द उन्हें आत्म-खोज की ओर ले गया।

Inspirational Woman

पटेल की ऊर्जा में एक युवा जज़्बा है। बकुला बताती हैं कि “मेरा पोता कभी-कभी मेरा मज़ाक उड़ाता है, लेकिन मैं दिन में दस किलोमीटर तैरती हूँ। मैं कैसे बूढ़ी महसूस कर सकती हूँ?” जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने देर से शुरुआत की, तो वे कहती हैं, “आप तब बूढ़े होते हैं जब आप नब्बे पार कर लें।” उनकी उपलब्धियों के अनुसार, यह बात सही लगती है। बकुला बेन का टैलेंट सिर्फ तैराकी (Inspirational Woman) तक सीमित नहीं है वे क्लासिकल डांस की करती हैं। जिसके लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है।

बकुला बेन के सामने उम्र मात्र एक नंबर

पटेल (Inspirational Woman) सूरज उगने से पहले उठती हैं, चौदह किलोमीटर दौड़ती हैं और ग्यारह सूर्य नमस्कार और शीर्षासन करती हैं। “उन्हें आलस पसंद नहीं है, इसलिए वे खुद को सक्रिय रखती हैं। वे कभी झपकी नहीं लेतीं और अक्सर ताप्ती नदी में शाम बिताना पसंद करती हैं। जो कभी उनके जीवन को खतरे में डाल चुकी थी। उनके लिए जो लोग तैराकी चश्मे की बजाय पढ़ाई के चश्मे में उन्हें देखना पसंद करते हैं, पटेल उन पर ध्यान नहीं देतीं। डेरिंगबाज़ दादी के नाम से मशहूर बकुला कहती हैं मेरा अगला सपना प्रधानमंत्री से राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त करना है। “यह मेरा सबसे बड़ा सपना है कि मैं इस देश को गर्वित करु। बकुला पटेल का साहस और दृढ़ संकल्प हमें सिखाता है कि उम्र सिर्फ एक नंबर है, और सपने कभी भी सच हो सकते हैं।

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