Employment : हथकरघा कारीगरों को मिलेगी नई राह, 300 करोड़ के New टेक्सटाइल पार्क में मिलेगा रोजगार

Employment : यदि आपके हाथों में भी बुनाई , कढ़ाई और कताई का हुनर है तो आप सरकार की इस योजना का लाभ उठा सकते है। उत्तर प्रदेश सीएम अपने राज्य के बुनकरों और हथकरघा का काम कर रहे लोगों के लिए शानदार योजना लेकर आए है। हाथ से बुनाई और कताई के जरिए कपड़े और सामान बनाने का उद्योग भारत में प्रसिद्ध है। यह काम हमारे देश में सालों से चल रहा है, यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। देशभर में लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं हथकरघा के कार्य से जुड़ी हुई है। जिससे उन्हें खास पहचान मिली है। तो जानते है क्या है सरकार की नई योजना और क्या लाभ मिलेगा हमारे कला के धनी व्यक्तियों को..

टेक्सटाइल पार्क के लिए 300 करोड़ रुपए की व्यवस्था

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उत्तरप्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में हथकरघा कार्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण योजना का ऐलान किया है। राज्य में टेक्सटाइल पार्क की स्थापना के लिए 300 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। जिससे बुनकरों को नए रोजगार (Employment) मिलेंगे राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस योजना से बुनकरों को नई पहचान मिलेगी। राज्य सरकार की योजना का लाभ उठाकर उन्हें और बेहतर तरक्की प्राप्त होगी।

हथकरघा उद्यमियों को मिलेंगे नए अवसर (Employment)

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश वस्त्र-गारमेंटिंग नीति-2022 को भी लागू किया है। जिसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए बजट 2025-26 में 150 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस नीति का उद्देश्य प्रदेश को परिधान निर्माण का प्रमुख केंद्र बनाना है। जिससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय उद्यमियों को नए अवसर(Employment)  मिलेंगे ।
आज के समय में उत्तर प्रदेश में 1.91 लाख हथकरघा बुनकर और 80 हजार से अधिक परिवार इस कार्य को कर रहे है। यह क्षेत्र 2.58 लाख विद्युत ऊर्जा से चलने वाले करघा (पावरलूम) के माध्यम से प्रदेश के 5.50 लाख से अधिक बुनकरों को रोजगार दे रहा है।

महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अहम ज़रिया

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हथकरघा कार्य ग्रामीण क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा रोज़गार (Employment) है। जो महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का यह एक अहम ज़रिया है। जो यह पर्यावरण के अनुकूल है। महिलाएं कम पूंजी में इसे शुरु करती है, और अपनी पहचान बना लेती है। उनकी असली मेहनत उनके हाथों की होती है। हथकरघा के काम में बिजली की खपत कम होती है। मार्केट के चलन और अपनी संस्कृति को उससे जोड़ते हुए महिलाएं कुछ नया बनाकर तैयार करती है।

हथकरघा उद्योग के विशेष कार्य (Employment)

उत्तर प्रदेश में काफी बड़े स्तर पर हाथों से तैयार किए वस्त्रों का काम होता है। जो वहां की पहचान भी है और दूसरे व्यक्ति के आजिविका (Employment) का साधन भी है। इन तैयार कपड़ों में राज्य की पुरानी कला देखने को मिलती है। जिसे देश विदेशों में पसंद किया जाता है। यहां सुंदर कालीन, साड़ियां, चादर और कई तरह के बुनाई और कढ़ाई वाले वस्त्र देखने को मिलते है। जो पूरी तरह हैंडमेड होते है।

कलाकार और सांस्कृतिक विरासत से भरा राज्य 

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कालीन उत्पादन में उत्तर प्रदेश का विशेष योगदान है। जो यूपी के भदोही, मिर्ज़ापुर, और आगरा में प्रमुख रुप से बनाए जाते है। इसके बाद यहां की साड़ियों की डिमांड मार्केट में हमेशा बनी रहती है। वाराणसी की साड़ियां, जामदानी, जामावर, ब्रोकेड, तनछुई, जगलां, और बूटीदार की परंपरागत बुनाई शैली साड़ियां देशभर में प्रसिद्ध है। गोरखपुर, मेरठ, और अमरोहा में सुंदर बेडशीट और बेडकवर तैयार होते है। कानपुर में रेडीमेड वस्त्र बनते है।

अलीगढ़ में दर्रेट और बाराबंकी में स्टोल बनते हैं। मऊरानीपुर में शर्टिंग और मेरठ और टांडा में लुंगी बनती है। उत्तर प्रदेश की कला और संस्कृति सभी का मन मोह लेती है। यही वजह है की कला के क्षेत्र में नए रोजगार (Employment) यहीं उत्पन्न होते है।

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