Kolkata घटना से हिला देश, अब बेटों पर लगाम कसना है जरुरी

Kolkata में महिला ट्रेनी डॉक्टर से साथ हुई हैवानियत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। ऐसी खबरें वैसे हमें हर दिन सुनने को मिलती हैं। जिन पर न्याय मिलते-मिलते पीड़िता के परिवारजनों का जीवन गुजर जाता है। पल भर में हंसता खेलता एक महिला और उसके परिवार का नाम मिट जाता है।

रेप के कुछ मामले तो सामने आ जाते हैं पर बहुत से दबें रह जाते हैं। बलात्कार की ये घटनाएं हर बार पूरे समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है । जिन पर विचार-विमर्श कर निष्कर्ष निकालना बहुत जरुरी है। ये जानने की जरुरत है आखिर कौन हैं वे लोग जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। कैसे उनके दिमाग में इतनी क्रूर और भयानक सोच उत्पन्न हो जाती है की वे हर हद पार कर जाते हैं, इंसान के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक कर जाते हैं…

इन लोगों की पहचान आम जनता के अनुसार

  •  ये लोग (पुरुष) वें हैं जिन्हें जीवन में हर बार निराशा मिली है (Kolkata)
  • या इन्हें किसी ने पसंद नहीं किया
  • इन्हें महिला की इज्जत या उनके सम्मान की कोई समझ ही नहीं है
  • सबसे महत्वपूर्ण परिवार में इन्हें हमेशा बहनों से ऊपर का दर्जा दिया गया है
  • माता-पिता ने बेटे से कभी पूछा ही नहीं की तुम क्या करते हो? कहां जाते हो
  • इन्हें माता- पिता का कोई डर नहीं है
  • अधिकांश जिनके पास ना कोई काम है ना कोई फ्रिक

बेटियों को सीखाते-सीखाते बेटों से लगाम छूटी (Kolkata)

Kolkata

यहां हमें इस बात पर गौर करना चाहिए की हमारी (समाज की) पहली गलती यह है की हमने सिर्फ सीखाने का काम हमेशा घर की बेटियों पर किया है। बेटों पर कभी कोई रोक, अनुशासन लगाने की हमें आवश्यकता ही नहीं पड़ी। बेटी को सालीन और सीधा बनाते -बनाते हम यह भूल गए की बेटे को भी कुछ बताना है। क्योंकि ये बेटे ही कभी रक्षस का रुप लेकर किसी की बेटी की अस्मत लूट कर उसे मृत्यु के घाट उतार रहे हैं।

संवेदनशील बनाना है जरुरी 

तो समाज को अब ये समझना होगा की अब बेटों पर काम करने की सबसे ज्यादा जरुरत है। मर्द को दर्द नहीं होता, ये सोच विनाश का कारण बन गई है। बेटे को संवेदनशील बनने दें, यदि वे रोते हैं तो उन्हें ये ना कहें की लड़का होकर रोता है। रोना लड़का -लड़की की पहचान नहीं बल्कि रोना हमाने जिंदा रहने की पहचान है। यदि घर में बेटा गुस्सा दिखा सकता है तो बेटी को भी हक दें वो अपनी भावनाएं व्यक्त कर सके।

माता- पिता बेटों की रखिए पूरी खबर 

घर को हर व्यक्ति के जीवन की पहली पाठशाला होती है, वहां माता-पिता बेटों को ये समझाएं की महिला सम्मान करें। माता के साथ बहनों के साथ घर के काम में मदद करें। हां बदलाव आने में वक्त जरुर लगेगा, पर यकिन मानिए समय की मांग यही है की अब बेटियों को लड़ना और बेटों को संवेदनशील बनाया जाएं। सोच में ब्रेक लगाने और बेटों को सुधारने की अवश्कता जरुरी है। अब से पूछने की जरुरत है की तुम कहां गए थे क्या करने गए थे। उन पर कंट्रोल करने की जरुरत है।

घर की हर महिला- बेटी को दें सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग 

अब समय आ गया है की हर महिला को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग मिले। अपने आस-पास के माहौल (Kolkata) के प्रति सतर्क रहें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि को पहचानने और उससे बचने की क्षमता विकसित करें। आत्मरक्षा में सबसे महत्वपूर्ण बात है आत्मविश्वास। आपके मन में यह विश्वास होना चाहिए कि आप अपनी सुरक्षा कर सकते हैं।

बेसिक स्ट्राइकिंग तकनीकें

self defence

मुक्के मारने की सही तकनीक सीखें, खासकर नाक, आंख, और गर्दन जैसे संवेदनशील स्थानों को निशाना बनाना।

बेसिक किक्स जैसे फ्रंट किक, साइड किक और राउंडहाउस किक सीखें।

घुटनों, कमर, और ग्रोइन जैसे नाजुक स्थानों पर किक करना अधिक प्रभावी होता है।  कोहनी और घुटने से मारना नजदीकी लड़ाई में बहुत प्रभावी हो सकता है।

किसी के द्वारा पकड़े जाने पर, उसकी पकड़ से छूटने के लिए तकनीकें सीखें, जैसे Wrist Escapes, Hair Grabs, और Bear Hugs से निकलने के तरीके।

अगर आप जमीन पर गिर जाएं, तो कैसे अपना बचाव करना है और वहां से उठना है, यह सीखना जरूरी है।

घर के बाहर तैयारी से निकलें  

Kolkata

छोटे और रोजमर्रा की चीज़ों का हथियार की तरह इस्तेमाल करने की कला सीखें, जैसे पेपर स्प्रे या टैसर (Taser) का उपयोग करना। जब आपके पास कुछ नहीं हो, तो अपने आस-पास की चीज़ों का उपयोग कैसे करना है, जैसे पर्स, चाबियों का गुच्छा, या किसी अन्य भारी वस्तु का।

मेंटल प्रिपरेशन और रिएक्शन टाइम

तनावपूर्ण स्थितियों में अपने मन को शांत रखने की तकनीकें सीखें ताकि आप बेहतर निर्णय ले सकें। खतरे को पहचानकर तुरंत प्रतिक्रिया देने की क्षमता का विकास करें। इसके लिए रिफ्लेक्स ट्रेनिंग भी कर सकते हैं।

सेल्फ-डिफेंस क्लासेज

कराटे, जूडो, किकबॉक्सिंग, या क्राव मागा जैसी मार्शल आर्ट्स का प्रशिक्षण लें। यह तकनीकें आपके फिजिकल और मेंटल स्ट्रेंथ दोनों को बढ़ाती हैं। समय-समय पर सेल्फ-डिफेंस की वर्कशॉप्स में हिस्सा लें। ये वर्कशॉप्स आपको नई तकनीकें और सेल्फ-डिफेंस के लिए जरूरी मानसिकता सिखा सकती हैं। (Kolkata)

लॉ एवेयरनेस

अपने देश और राज्य के कानूनों के बारे में जानकारी रखें, खासकर महिला सुरक्षा से जुड़े हुए। जानिए कि किस परिस्थिति में क्या कदम उठाया जा सकता है।

रन एंड एस्केप

हर समय लड़ने की जरूरत नहीं होती। अगर परिस्थिति का सामना करना मुश्किल हो, तो कैसे वहां से सुरक्षित भागना है, यह जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ये सभी तकनीकें एक महिला को अपनी सुरक्षा के लिए सक्षम बनाती हैं और संकट की स्थिति में उसे आत्मविश्वास से लैस करती हैं। नियमित अभ्यास और सही मानसिकता के साथ, सेल्फ डिफेंस की इन विधियों को अच्छी तरह से सीखना और अपनाना जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *