साध्वी ऋतंभरा अब पद्मभूषण साध्वी ऋतंभरा के नाम से जानी जाएंगी 

अपने उत्कर्ष कार्यों के चलते उन्हें यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है  

साध्वी ऋतंभरा ने वर्ष 2001 में वृंदावन में वात्सल्य ग्राम बनाया

वात्सल्य ग्राम में सैकड़ों बच्चों को संतान की तरह पालती हैं साध्वी 

दीदी मां के बच्चें आज डॉक्टर, इंजीनियर बन बड़े -बड़े पदों पर काम कर रहे हैं 

साध्वी ऋतंभरा ने 16 वर्ष की आयु में घर छोड़ अध्यात्म की राह को चुना

साध्वी ऋतंभरा का  घरेलु नाम निशा था 

साल 1982 में उन्हें स्वामी परमानंद ने दीक्षा दी और नाम रखा ऋतंभरा

राम मंदिर निर्माण आंदोलन की आवाज़ बनी साध्वी ऋतंभरा 

इनके ऊर्जावान भाषणों को उस वक्त बहुत पसंद किया गया 

साध्वी ऋतंभरा दुर्गा वाहिनी की संस्थापक-अध्यक्ष हैं, इस वक्त वे प्रयागराज में कुंभ का आनंद ले रही हैं 

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